फरवरी में गर्मी ने तोड़ा 122 साल का रिकॉर्ड, आने वाले महीनों में बढ़ेगा और तापमान, गेहूं की उपज में भी हो सकती है कमी
Summary
फरवरी की गर्मी तो केवल एक झलक थी। आने वाले महीनों में पारा और भी चढ़ सकता है। मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि मार्च से मई तक पूर्व, उत्तर पूर्व, मध्य और पश्चिमोत्तर भारत के ज्यादातर […]
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फरवरी की गर्मी तो केवल एक झलक थी। आने वाले महीनों में पारा और भी चढ़ सकता है। मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि मार्च से मई तक पूर्व, उत्तर पूर्व, मध्य और पश्चिमोत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में न्यूनतम तथा अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है।
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विभाग ने कहा कि केवल दक्षिणी प्रायद्वीप में मार्च से मई के दौरान न्यूनतम तथा अधिकतम तापमान सामान्य या उससे कम रहने की संभावना है। मार्च में भी दक्षिणी प्रायद्वीप को छोड़कर देश के अधिकतर हिस्सों में न्यूनतम एवं अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की आशंका है।
मौसम विभाग के मुताबिकइस साल फरवरी में देश में अधिकतम औसत तापमान 1901 के बाद सबसे अधिक था। इस दौरान न्यूनतम औसत तापमान भी 1901 के बाद पांचवां सबसे अधिक रहा।
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विभाग ने कहा है कि फरवरी में पश्चिमोत्तर भारत में 1901 के बाद दूसरा सबसे अधिक औसत न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। पूर्वी भारत में 1901 के बाद तीसरा सबसे अधिक और पूरे भाररत में पांचवां सबसे ज्यादा तापमान देखा गया।
मौसम विभाग में कृषि मौसम विज्ञान एवं जल विज्ञान सेवा के प्रमुख एससी भान ने कहा, ‘फरवरी में सूरज की तपिशजलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ी या इसका कोई और कारण था, इस बात की बारीकी से जांच करनी चाहिए। लेकिन हमें मिली जानकारी के मुताबिक कृषि मंत्रालय सभी जरूरी एहतियात बरत रहा है।’
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गेहूं की खड़ी फसल की उपज हो सकती है कम
विशेषज्ञों ने कहा कि तापमान में तेज वृद्धि से गेहूं की खड़ी फसल की उपज कम हो सकती है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खास तौर पर ऐसा दिख सकता है, जहां बोआई देर से हुई है और इस समय बालियों में दाने आ रहे हैं।
मार्च से मई के दौरान गर्मी ज्यादा होने से बिजली की मांग भी बढ़ सकती है। इससे महंगाई भी बढ़ने की आशंका है, जिसमें मामूली कमी आनी शुरू ही हुई है। जब बालियां भरनी शुरू होती हैं, उस समय ज्यादा गर्मी और सूखी हवाएं गेहूं के लिए नुकसानदेह मानी जाती हैं।
उत्तर और मध्य भारत के लिए अच्छी बात यह है कि मौसम विभाग के अनुसार मार्च में लू चलने की संभावना बहुत कम है। पूर्वानुमान में कहा गया है कि इस साल अप्रैल से लू चलने के आसार हैं।
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विभाग ने यह भी कहा कि कि अगले तीन महीने तक बारिश नहीं के बराबर होने के कारण देश के अधिकतर हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘तापमान बढ़ने से महंगाई निश्चित तौर पर बढ़ेगी।’
इंडिया रेटिंग्स ने हाल में अपनी एक शोध रिपोर्ट में कहा, ‘जब तक गेहूं उत्पादन, उसकी सरकारी खरीद और देसी मांग में तालमेल नहीं होता तथा बाजार को लगता है कि गेहूं का भंडार कम होने के कारण सरकार बाजार में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं कर सकती तब तक हेहूं के भाव चढ़े रहेंगे।’
आईग्रेन के कमोडिटी विश्लेषक राहुल चौहान ने कहा कि फरवरी में अधिक गर्मी के कारण कुछ इलाकों में गेहूं की फसल पहले ही समस्या से जूझ रही है। इसीलिए राज्य सरकारें किसानों को फौरन बचाव के उपाय अपनाने की सलाह दे रही हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर गर्मी ऐसे ही बढ़ती रही तो पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार में भी गेहूं की खड़ी फसल पर संकट आ जाएगा।’
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केंद्र ने अपने ताजा अनुमान में कहा है कि बोआई का रकबा बढ़ने के कारण इस साल गेहूं का रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन उत्पादन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल के मुकाबले 4.12 फीसदी अधिक है।
इसी प्रकार चने का उत्पादन 0.66 फीसदी बढ़कर 1.36 करोड़ टन और सरसों का उत्पादन 7.11 फीसदी बढ़कर 1.28 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
(साभार बिजनेस स्टैंडर्ड)
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