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1 साल से चल रहे किसान आंदोलन के आगे झुकी मोदी सरकार, क्या अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव है प्रमुख वजह

Summary

एक साल से ज्यादा लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के आगे मोदी सरकार ने झुकते हुए तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। पीएम मोदी ने किसानों से क्षमा मांगते हुए यह ऐलान किया। उन्होंने यह […]

एक साल से ज्यादा लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के आगे मोदी सरकार ने झुकते हुए तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। पीएम मोदी ने किसानों से क्षमा मांगते हुए यह ऐलान किया। उन्होंने यह भी कहा कि वह शायद वह किसानों को समझा नहीं पाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू हो रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानून वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि किसान अब अपने घर और खेतों को लौट जाएं।

क्या बताई वजह?
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुपर्व के मौके पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि वह किसानों को समझा नहीं पाए इसीलिए कानून वापस ले लिए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि कानूनों का उद्देश्य पवित्र था और यह किसानों के हित में था। पीएम मोदी ने कहा कि बहुत सारे वैज्ञानिकों, किसान संगठनों ने इस कानूनों का स्वागत भी किया था।

क्या बोले राकेश टिकैत
मोदी सरकार के इस बड़े फैसले के बाद आंदोलन का चेहरा बने बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कहा कि अभी आंदोलन खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा । सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।’
राकेश टिकैत ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा, अभी एमएसपी पर स्थिति साफ नहीं हुई है। जब संसद में तीनों कानून वापस हो जाएंगे तभी आंदोलन भी वापस होंगे। टीकैत ने कहा, मुझे मोदी पर विश्वास नहीं है। उन्होंने 15-15 लाख रुपये देने का भी ऐलान किया था।

वहीं ऑल इंडिया किसान सभा महासचिव हन्नान मौला ने कहा, मैं इस घोषणा का स्वागत करता हूं। जब तक सदन से इस घोषणा पर कार्यवाही नहीं होती है तब तक यह कोशिश संपूर्ण नहीं होगी। इससे हमारे किसानों की समस्या हल नहीं होगी। MSP के लिए हमारा आंदोलन जारी है और जारी रहेगा।

हालांकि किसान नेता और प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले के बाद यह कहना है कि दीपावली के समय उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद प्रधानमंत्री ने पेट्रोल और डीजल के दाम कम किए थे और आने वाले साल में 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी के विरोध को देखते हुए उन्होंने यह निर्णय लिया है ।

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