उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी में कैसे जुड़ेगा हाथ से हाथ, नेता प्रतिपक्ष के सामने खुलकर सामने आई कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी
Summary
रुद्रपुर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद भले ही दिल्ली में बैठे शीर्ष कांग्रेसी नेता इस यात्रा की सफलता पर खुश हो रहे हों लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम शुरुआती दौर में ही […]


रुद्रपुर
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद भले ही दिल्ली में बैठे शीर्ष कांग्रेसी नेता इस यात्रा की सफलता पर खुश हो रहे हों लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम शुरुआती दौर में ही कांग्रेसी कलह को सामने ला रहा है।

दरअसल नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की अगुवाई में रुद्रपुर शहर में कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम के तहत कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की बैठक का आयोजन किया गया था लेकिन बैठक में कांग्रेस पार्टी का आपसी कलह मीडिया के सामने आ गया। जहां एक ओर प्रदेश में अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ रही कांग्रेस खुद को मजबूत करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है तो वहीं कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की बैठक में भी खुलकर सामने आ गई। इस बैठक में न सिर्फ वरिष्ठ नेताओं का अपमान किया गया, बल्कि उन्हें मंच तक पर स्थान नहीं मिला। इससे नाराज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बैठक छोड़ कर चलते बने।


आपको बताते चलें कि कांग्रेस गुटबाजी के कारण ही प्रदेश में अपना वजूद खोती जा रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ही गुटबाजी में फंसे हैं। आज यह गुटबाजी नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की ओर से बुलाई गई जिला स्तरीय बैठक में भी देखने को मिली।
यहां न सिर्फ फ्लेक्स से वरिष्ठ नेताओं/जिलाध्यक्ष की फोटो और नाम गायब थे बल्कि मंच पर उन्हें बैठने का स्थान नहीं दिया गया। महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा, विधायक प्रत्याशी रही पूर्व पालिकाध्यक्ष मीना शर्मा, वरिष्ठ बंगाली नेता और पीसीसी सदस्य परिमल राय का फ्लेक्स से नामी गायब था, इसके बाद यह नेता बैठक छोड़ कर चलते बने।


आपको बताते चलें यह बैठक सिटी क्लब में बुलाई गई थी, इसमें चंद कांग्रेसी ही पहुंचे थे, उनमें भी गुटबाजी के चलते यह बैठक चर्चा का विषय बनी रही। और साथ ही बाजपुर के एक सक्रिय कांग्रेसी कार्यकर्ता ने भी मीडिया और कार्यकारी जिलाध्यक्ष हिमांशु गाबा के सामने अपनी बात रखी, उन्होंने कहा कि उनके पास जनपद का एक महत्वपूर्ण कांग्रेस का पद है। इसके बावजूद भी मंच से उनके नाम को बुलाया तक नहीं गया। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं लेकिन यह बात शीर्ष नेताओं को सोचनी चाहिए कि क्या उनका प्रयोग सिर्फ लोगों को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है।


