Top Stories:
DEHRADUN UTTRAKHAND

वक्त की नजाकत समझिए धामी सर..युवाओं को है आपसे बड़ी उम्मीद..24 हजार सरकारी नौकरियों पर दावा नहीं…अधिकारियों से पूरा होमवर्क कराइए..

Summary

देहरादून: धामी सरकार समय रहते त्रिवेंद्र और तीरथ राज के ढर्रे से संभली नहीं तो 24 हजार सरकारी नौकरियों का दावा बेरोजगार युवाओं के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने वाला साबित होगा और चुनाव में ये दांव बीजेपी सरकार को भारी […]

देहरादून:

धामी सरकार समय रहते त्रिवेंद्र और तीरथ राज के ढर्रे से संभली नहीं तो 24 हजार सरकारी नौकरियों का दावा बेरोजगार युवाओं के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने वाला साबित होगा और चुनाव में ये दांव बीजेपी सरकार को भारी भी पड़ सकता है। आपको बखूबी याद होगा राजभवन इस्तीफा देने जाने से पहले दिल्ली से लौटते तीरथ सिंह रावत पहले सचिवालय पहुंचे थे। मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी आखिरी प्रेस कॉंफ़्रेंस में 24 हजार सरकारी नौकरियों के होमवर्क का दावा किया था। उसके बाद मुख्यमंत्री बनते ही पुष्कर सिंह धामी ने भी इन्हीं 24 हजार नौकरियों का ढिंढोरा पीटना शुरू कर दिया लेकिन हकीकत यह है कि होमवर्क अब हो रहा है।

कार्मिक विभाग ने 19 जुलाई को एक पत्र सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों और प्रभारी सचिवों तक दौड़ाया है कि जल्द से जल्द राज्य सरकार के समस्त विभागों में सीधी भर्ती के खाली पड़े पदों, प्रमोशन और बैकलॉग पदों का ब्योरा दिया जाए। पत्र में पूछा गया है कि छह जुलाई को विभागों मे बैकलॉग पदों की मौजूदा स्थिति की जानकारी और बैकलॉग पद भरने के लिए स्पेशल भर्ती अभियान चलाए जाने की जानकारी मांगी गई थी। लेकिन कुछेक विभागों को छोडकर जानकारी नहीं दी गई है। यानी सरकार बाहर ढिंढोरा खूब पीट रही और अंदर विभागों के स्तर पर चुनावी साल मे भी हीलाहवाली के हालात बने हुए हैं।


चुनावी साल में हालात की गंभीरता और बेरोज़गारी के मुद्दे पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सियासी प्रहार से बचने को बेचैन धामी सरकार नौकरियों के मुद्दे पर बैकफ़ुट पर नहीं रहना चाहती है।लिहाजा रोजगार के मोर्चे पर कुछ कर दिखाने को खुद मुख्यमंत्री ड्राइविंग सीट पर आ चुके हैं। यही वजह है कि कार्मिक विभाग ने तमाम विभागों से अनुरोध किया है कि सभी विभाग जल्द से जल्द सूचना दें क्योंकि मुख्यमंत्री के सामने इसे रखा जाना है। मुख्यमंत्री खुद मॉनिटरिंग इसलिए भी करना चाह रहे हैं क्योंकि राज्य में साढे चार सालों में बेरोज़गारी चरम पर रही है।


आलम ये रहा कि सवा लाख करोड़ के एमओयू लिए फिरते रहे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत न केवल बेरोज़गारी के आंकड़ों को धता बताते रहे बल्कि सात लाख नौकरियां बांटने का ढिंढोरा पीटकर युवाओं के ज़ख़्मों पर नमक भी छिड़कते रहे। यहां तक राज्य में बेरोज़गारी दर नए रिकॉर्ड छू रही थी और मुख्यमंत्री रहते टीएसआर माइनस में बेरोज़गारी की नई थ्योरी बांचते रहे।
अब 24 हजार खाली पदों पर भर्ती का दम तो सीएम धामी भर रहे लेकिन विभागों की तैयारी शून्य है। कार्मिक विभाग का एक पखवाड़े में दूसरा पत्र इसकी हकीकत बयां कर रहा है। वैसे भी पहले विभाग होमवर्क कर सरकार को खाली पदों की वास्तविक स्थिति बताएँगे उसके बाद भर्ती आयोगों की बारी आएगी। विज्ञप्ति जारी करने से लेकर एक-एक भर्ती की प्रक्रिया पूरी कराने में राज्य के भर्ती आयोगों का ट्रैक रिकॉर्ड किसी से छिपा नहीं है। जाहिर सरकारी नौकरियों का सपना कहीं मरहम की बजाय और नमक छिड़कने वाला साबित न हो जाए! उम्मीद है युवा मुख्यमंत्री युवा बेरोज़गारों के दर्द को समझ रहे होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *