Top Stories:
RUDRAPUR UTTRAKHAND

देखिए आखिर क्यों..विधायक राजेश शुक्ला ने विधानसभा की कार्यवाही में विशेषाधिकार हनन एवं अवमानना का मामला उठाया

Summary

गैणसैण/ रुद्रपुर। विधायक राजेश शुक्ला ने आज विधानसभा सत्र की कार्रवाई में नियम 65 विशेषाधिकार हनन एवं अवमानना का मामला उठाया। विधायक राजेश शुक्ला ने सदन के पटल पर अपनी बात रखते हुए अवगत कराया कि जनपद उधमसिंहनगर के जिला […]

गैणसैण/ रुद्रपुर। विधायक राजेश शुक्ला ने आज विधानसभा सत्र की कार्रवाई में नियम 65 विशेषाधिकार हनन एवं अवमानना का मामला उठाया। विधायक राजेश शुक्ला ने सदन के पटल पर अपनी बात रखते हुए अवगत कराया कि जनपद उधमसिंहनगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में जिला पंचायत कार्यालय के सभागार में दिनांक 16 फरवरी 2021 को जिला पंचायत की एक बैठक आहूत की गई थी, जिसकी सूचना पदेन सदस्य होने के नाते मुझे नहीं दी गई थी मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि संभवत भूल/त्रुटि वश सूचना नहीं आई होगी, अतः जब लगभग 12:00 बजे मैं जिला पंचायत के सभागार में पहुंचा तो बैठक चल रही थी।

बैठक में पूर्व से बदलकर नई व्यवस्था लागू की गई थी जिसमें एक मंच बनाया गया था जिसपर जिला पंचायत की अध्यक्षा रेनू गंगवार व उनके ससुर सांसद प्रतिनिधि ईश्वरी प्रसाद गंगवार व मुख्य विकास अधिकारी एवं जिला पंचायत अध्यक्ष के पति पंचायती राजमंत्री के प्रतिनिधि के रुप में श्री सुरेश गंगवार बैठे थे व बाकी सभी सदस्यों को नीचे कुर्सियों पर बैठाया गया था जहां अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत उधम सिंह नगर भी बैठे थे। मेरे पहुंचने पर अपर मुख्य अधिकारी सहित कोई भी खड़ा नहीं हुआ व पंचायती राजमंत्री के प्रतिनिधि सुरेश गंगवार ने कहा कि तुम इस बैठक में क्यों आए? तुम्हें बुलाया नहीं गया? यहां किसी भी विधायक को नहीं बुलाया गया है, यहां से चले जाओ! मेरे द्वारा यह कहने पर कि विधायक पदेन जिला पंचायत का सदस्य होता है तथा उसे जिला पंचायत की बैठक में प्रतिभाग करने का संवैधानिक अधिकार है। इस तथ्य को मुख्य विकास अधिकारी अथवा अपर मुख्य अधिकारी बताएंगे, इस पर मुख्य विकास अधिकारी व अपर मुख्य अधिकारी मौन रहे तथा उन्होंने भी मुझे बैठने के लिए नहीं कहा। मैंने वहां अपर मुख्य अधिकारी से कहा कि मुझे बैठक का एजेंडा व सूचना क्यों नहीं भेजी इस पर भी वह नहीं बोले तथा जिला पंचायत अध्यक्ष के पति एवं ससुर ने मुझे बैठक से चले जाने को कहा।

महोदय मेरे बैठक में पहुंचने से पहले जिला पंचायत द्वारा उत्तराखंड शासन द्वारा रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज का नाम महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं तराई के संस्थापक पंडित राम सुमेर शुक्ला जी के नाम के 2016 के शासनादेश को बदलने का प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसपर बैठक में पहुंचने पर मेरे द्वारा मात्र इतना कहने पर कि शासन के विषय पर आप प्रस्ताव नहीं कर सकते यह आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, इसपर जिला पंचायत अध्यक्ष के पति ने कहा कि आप बिन बुलाए बैठक में आए हैं और व्यवधान डाल रहे हैं, आपको भविष्य में भी कभी बैठक में नहीं बुलाया जाएगा चले जाओ? जो करना है कर लो? हमने प्रस्ताव पारित कर दिया है?

महोदय मेरा घोर अपमान हुआ, मुझे बेइज्जत करके बैठक से निकाला गया तथा मुझे बैठने के लिए भी नहीं कहा गया और वही मेरे पहुंचने पर अपर मुख्य अधिकारी ने अथवा मंच पर बैठे मुख्य विकास अधिकारी ने मेरे लिए न ही कुर्सी खाली की और न हीं बैठने के लिए कहा बल्कि एक बार भी यह नहीं बोले कि विधायक एक संवैधानिक पद है और जिला पंचायत की बैठक में प्रतिभाग करने का उनका संवैधानिक अधिकार है।

महोदय यह मेरे अपमान के साथ-साथ मेरे विशेषाधिकार का भी हनन है तथा साथ ही साथ उक्त प्रस्ताव शासन के भी विशेषाधिकार का हनन है, क्योंकि शासन को यह अधिकार प्राप्त है कि कौन सी संस्था का नाम किसके नाम पर रखा जाएगा। अतः निवेदन है कि हमारे विशेषाधिकार का संरक्षण करें तथा अपमान करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही हो तथा निरंकुश जिला पंचायत पर अंकुश लगाया जाए तथा इसकी भी जांच कराई जाए कि जिला पंचायत की बैठक में पंचायती राज मंत्री एवं सांसद प्रतिनिधि को बैठक में बैठने का संवैधानिक अधिकार है और विधायक को नहीं? तथा मुख्य विकास अधिकारी एवं अपर विकास अधिकारी ने शासन द्वारा प्रतिपादित प्रोटोकॉल किसके दबाव में तोड़ा एवं कैसे स्वयं विधायक का अपमान किया और होता देखते रहे। उक्त बैठक के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष का सार्वजनिक बयान आया कि बिना बुलाए बैठक में प्रतिभाग करके विधायक राजेश शुक्ला ने सदन की अवमानना की है इसलिए वह माफी मांगे नहीं तो उन्हें हमेशा के लिए जिला पंचायत की बैठकों में प्रतिभाग करने से वंचित कर दिया जाएगा।

महोदय ऐसा प्रतीत होता है कि जिला पंचायत उधम सिंह नगर की अध्यक्षा, उनके पति एवं उनके ससुर व अपर मुख्य अधिकारी ने समूची जिला पंचायत को अपनी जागीर समझ लिया है तथा वे न तो शासन को कुछ समझ रहे हैं और ना ही संविधान को, ऐसे में विधायक स्वयं मेरे विशेषाधिकार व सम्मान का संरक्षण आपके हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं है। अतः अनुरोध है कि सरकार को इस संबंध में उचित निर्देश देकर कार्यवाही करने की कृपा करें। विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के विधायकों ने भी समर्थन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *