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करिए यूनेस्को की विश्व धरोहर फूलों की घाटी का दीदार, जून से अक्टूबर तक देश, दुनिया के पर्यटकों के लिए खुली रहेगी फूलों की घाटी

Summary

चमोली( संजय चौहान): Valley of Flowers opens for tourists विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी हर साल की तरह आज यानी एक जून को पर्यटकों के दीदार के लिए खुल गई है। बीच में कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में लाॅकडाउन […]

चमोली( संजय चौहान):

Valley of Flowers opens for tourists विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी हर साल की तरह आज यानी एक जून को पर्यटकों के दीदार के लिए खुल गई है। बीच में कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में लाॅकडाउन की स्थिति रही तो फूलों की घाटी भी नहीं खुल पाई थी। फूलों की 500 से ज्यादा प्रजातियां समेटे  यूनेस्को की विश्व धरोहर Valley of Flowers जून से अक्टूबर तक देश दुनिया के पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए खुली रहेगी।

 उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्रतल से 3962 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी 87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है। घाटी नंदा देवी बायोस्फियर रिज़र्व में आती है। फूलों की घाटी में दुर्लभ वनस्पतियों का समृद्ध संसार तो बसता है ही, यह पूरा क्षेत्र पक्षियों, तितलियों और अन्य जानवरों की शरण स्थली भी है। 

फूलों की घाटी में ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए 17 किलोमीटर लंबा ट्रेक भी है। फूलों की घाटी में एंट्री के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की तरफ से ऑफलाइन माध्यम से परमिशन दी जाती है। 

आंकड़ों पर नजर डालें तो फूलों की घाटी में 2014 में 484 पर्यटक, 2015 में 181, 2016 में 6503, 2017 में 13752, 2018 में 14742 पर्यटक पहुँचे थे। जबकि 2019 में 17424 पर्यटकों ने फूलों की घाटी के दीदार किए। कोरोना की वजह से भले ही फूलों की घाटी 1 जून 2020 को खोल दी गई थी लेकिन पर्यटकों की आवाजाही के लिए 1 अगस्त से 31 अक्तूबर तक ही खोली गयी थी। इस अवधि में 932 पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे थे जिनमें 11 विदेशी भी शामिल थे।

यहां बसता है फूलों का अद्भुत संसार

फूल शायद सुंदरता के सबसे पुराने प्रतीक हैं। सभ्यता के किसी बहुत प्राचीन आंगन में जंगल और झाड़ियों के बीच उगे हुए फूल ही होंगे जो इंसान को उस ख़ासे मुश्किल वक़्त में राहत देते होंगे। इन फूलों से पहली बार उसने रंग पहचाने होंगे। ख़ुशबू को जाना होगा। पहली बार सौंदर्य का अहसास किया होगा। फूलों की अपनी दुनिया है। वो याद दिलाते हैं कि पर्यावरण के असंतुलन से लगातार धुआंती, काली पड़ती, गरम होती इस दुनिया में फूलों को बचाए रखना जरूरी है।

यहां बसता है फूलों का अद्भुत संसार

फूल शायद सुंदरता के सबसे पुराने प्रतीक हैं। सभ्यता के किसी बहुत प्राचीन आंगन में जंगल और झाड़ियों के बीच उगे हुए फूल ही होंगे जो इंसान को उस ख़ासे मुश्किल वक़्त में राहत देते होंगे। इन फूलों से पहली बार उसने रंग पहचाने होंगे। ख़ुशबू को जाना होगा। पहली बार सौंदर्य का अहसास किया होगा। फूलों की अपनी दुनिया है। वो याद दिलाते हैं कि पर्यावरण के असंतुलन से लगातार धुआंती, काली पड़ती, गरम होती इस दुनिया में फूलों को बचाए रखना जरूरी है।

कब खुलती है फूलों की घाटी

सीमांत जनपद चमोली में मौजूद विश्व धरोहर रंग बदलने वाली फूलों की घाटी को हर साल आवाजाही के लिए 1 जून को आम पर्यटकों के लिए खोल दिया जाता है। जबकि अक्तूबर अंतिम सप्ताह में 31 अक्तूबर को ये घाटी आवाजाही के लिए बंद हो जाती है। 

कहां है फूलों की घाटी

उत्तराखंड के चमोली जिले में पवित्र हेमकुंड साहिब मार्ग स्थित फूलों की घाटी को उसकी प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित कर दिया था। 87.5 वर्ग किमी में फैली फूलों की ये घाटी न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। फूलों की घाटी में दुनियाभर में पाए जाने वाले फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। हर साल देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यह घाटी आज भी शोधकर्ताओं के आकर्षण का केंद्र है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं।

पर्वतारोही फ्रेक स्माइथ की खोज

गढ़वाल के ब्रिटिशकालीन कमिश्नर एटकिंसन ने अपनी किताब हिमालयन ग्जेटियर में 1931 में इसको नैसर्गिक फूलों की घाटी बताया। वनस्पति शास्त्री फ्रेक सिडनी स्माइथ जब कामेट पर्वत से वापस लौट रहे थे तो फूलों से खिली इस सुरम्य घाटी को देख मंत्रमुग्ध हो गए। 1937 में फ्रेक एडिनेबरा बाटनिकल गार्डन की ओर से फिर इस घाटी में आए और तीन माह तक यहां रहे।

पर्वतारोही फ्रेक स्माइथ की खोज

गढ़वाल के ब्रिटिशकालीन कमिश्नर एटकिंसन ने अपनी किताब हिमालयन ग्जेटियर में 1931 में इसको नैसर्गिक फूलों की घाटी बताया। वनस्पति शास्त्री फ्रेक सिडनी स्माइथ जब कामेट पर्वत से वापस लौट रहे थे तो फूलों से खिली इस सुरम्य घाटी को देख मंत्रमुग्ध हो गए। 1937 में फ्रेक एडिनेबरा बाटनिकल गार्डन की ओर से फिर इस घाटी में आए और तीन माह तक यहां रहे।

पांच सौ से अधिक प्रजातियों के फूल

फूलों की घाटी में 500 प्रजाति के फूल अलग-अलग समय पर खिलते हैं। यहां जैव विविधता का खजाना है। यहां पर उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल यहाँ खिले रहते हैं। घाटी मे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का है संसार बसता है।

हर पखवाड़े रंग बदलती है फूलों की घाटी

फूलों की घाटी में जुलाई से अक्टूबर के मध्य 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। खास बात यह है कि हर 15 दिन में अलग-अलग प्रजाति के रंगबिरंगे फूल खिलने से घाटी का रंग भी बदल जाता है। यह ऐसा सम्मोहन है, जिसमें हर कोई कैद होना चाहता। (साभार न्यूज़ अड्डा)

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