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HALDWANI UTTRAKHAND

पड़ताल..तो क्या हल्द्वानी का गौला पुल चढ़ा अवैध खनन की भेंट,जानकार लोग पहले से ही लगा चुके थे इसका अंदेशा

Summary

हल्द्वानी उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में कहर बनकर बारिश अब थम जरूर गई है लेकिन आपदा के निशान मिटने में अभी समय लगेगा। तराई का मुख्यालय कहा जाने वाला रुद्रपुर भी इससे अछूता नहीं रहा। न जाने कितने परिवारों ने […]

हल्द्वानी

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में कहर बनकर बारिश अब थम जरूर गई है लेकिन आपदा के निशान मिटने में अभी समय लगेगा। तराई का मुख्यालय कहा जाने वाला रुद्रपुर भी इससे अछूता नहीं रहा। न जाने कितने परिवारों ने अपने आशियाने को खो दिया तो ना जाने कितने लोगों ने अपनी आजीविका के साधन को अपनी ही आंखों के सामने उजडते देखा। दरअसल इस तेज बारिश में लोगों ने प्रशासन के सहयोग से पहले परिवार को सुरक्षित किया।

जनपद नैनीताल में भी बारिश का कहर खूब जमकर बरसा। हल्द्वानी में मेन हाईवे पर लोगों ने मोटरसाइकिल को पानी में ताश के पत्तों की तरह बहते देखा और हल्द्वानी में इस तेज बहाव का सबसे बड़ा नुकसान हुआ, गोला नदी पर बने पुल को। इंदिरानगर बाइपास स्थित गौला नदी पर बने पुल का बड़ा हिस्सा टूट जाने से खटीमा, चंपावत या पीलीभीत जाने वाले यात्रियों को अब लंबे रूट से जाना पड़ रहा है।


गौरतलब है कि तीन दिनों तक लगातार हुई बारिश ने मंगलवार को सबसे रौद्र रूप दिखाया। हल्द्वानी में गौला पुल की 30 मीटर, 25 मीटर गहरी और 12 मीटर चौड़ी सड़क मलबा बनकर नदी में समा गई थी। अब सबसे बड़ी बात यह है कि आखिर पुल पानी का इतना बहाव क्यों नहीं झेल पाया । सम्भवतः जानकार लोग नदी के अंदर पानी का डायवर्जन, अवैध खनन, प्रशासन की लापरवाही पुल के ध्वस्त होने के पीछे का बड़ा कारण मान रहे हैं ।


बहरहाल पुल ध्वस्त होने के बाद केंद्रीय रक्षा व पर्यटन मंत्री अजय भट्ट, सीएम पुष्कर सिंह धामी, मंत्री धन सिंह रावत समेत पूर्व सीएम हरीश रावत ने क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण भी किया। बताया जा रहा है कि अब पुल निर्माण की जिम्मेदारी एनएचआइ की है। और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे 15 दिन के अंदर ठीक करने के निर्देश भी दिए हैं ।

लेकिन यदि गहनता से अध्ययन करें तो पता चलता है कि पुल पर खतरा पहले से ही मंडरा रहा था। दरअसल गौला पुल के नीचे खूब अवैध खनन होता है। जिसकी वजह से पिलर की स्थिति सही नहीं थी। नदी के अंदर पानी का बहाव पूरी तरह से बिगड़ा हुआ था। जिस वजह से सेफ्टी वाल पानी की मार सह नहीं सकी और ध्वस्त हो गई।

आपको बताते चलें कि एक संस्था के द्वारा पुल की सेफ्टी को लेकर पहले भी शासन को एक पत्र लिखा जा चुका था। जिसमें यह लिखा था कि लगातार होता अवैध खनन इस पुल को नुकसान पहुंचाएगा और साथ ही उस पत्र में एक सेफ्टी वाल बनाए जाने का भी जिक्र किया गया था। जिससे कि वहां अवैध खनन पर अंकुश लगाया जा सके।

हलांकि प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेंद्र शर्मा ने इंजीनियरों संग पुल का निरीक्षण किया।उन्होंने बताया कि नदी में पानी कम होने पर काम शुरू कर दिया जाएगा। मौसम ने साथ दिया तो 15 दिन के भीतर सेफ्टी वाल तैयार कर सड़क बन जाएगी। बशर्ते प्रशासन का पूरा सहयोग मिले। उन्होंने कहा कि किनारे की तरफ एक पिलर और होना चाहिए था।

अब सवाल यह है कि हाईकोर्ट द्वारा पुल के एक-एक किमी क्षेत्र में खनन के लिए प्रतिबंध लगाने के बावजूद खनन क्यों होता है। और क्या इसकी भनक क्षेत्रीय प्रशासन को भी नहीं होती है ।

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