तो क्या राजनेताओं को नहीं होता करोना ..तो फिर क्यों नहीं करते सरकारी गाइडलाइन का पालन..ये व्यंग्य नहीं ..
Summary
तो क्या राजनेताओं को नहीं होता कोरोना दरअसल पिछले साल जब कोविड-19 का संक्रमण पूरे विश्व में फैला तो ना जाने कितने विकसित देशों पर भी अर्थव्यवस्था का संकट गहरा गया। भारत में भी लॉक डाउन का सहारा लिया गया […]
तो क्या राजनेताओं को नहीं होता कोरोना
दरअसल पिछले साल जब कोविड-19 का संक्रमण पूरे विश्व में फैला तो ना जाने कितने विकसित देशों पर भी अर्थव्यवस्था का संकट गहरा गया। भारत में भी लॉक डाउन का सहारा लिया गया , लॉकडाउन लंबा चला जिससे अपने देश की अर्थव्यवस्था में भी कुछ ना कुछ लड़खड़ाहट जरूर आई। बहुत सारे लोग बेरोजगार हुए लेकिन एक बार फिर से गिरते संभलते भारत ने अपनी उस उम्मीद को नहीं छोड़ा जो कहीं ना कहीं एक बड़े विकास की ओर उन्मुख रही। लोग अपने अपने कारोबार में फिर से वापस आए लेकिन 2021 में होली आते-आते एक बार फिर से कोरोनावायरस ने अपनी जडे फैलाना शुरु कर दिया । जिसको लेकर अब तो दिल दहला देने वाली खबरें भी सामने आने लगी। एक-एक दिन में लाख लाख लोगों से ऊपर लोग कोरोनावायरस से संक्रमित होने लगे। लेकिन वहीं दूसरी ओर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तस्वीरें भी लोग अपने घर से बैठ कर के देख रहे हैं । कोरोना वायरस के बढते मामलों के बाद जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी फिर से संभालनी पड़ी । जिला प्रशासन अलर्ट मोड में चला गया। बाजारों में घोषणाएं शुरू हो गई कि सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है, सभी को मास्क लगाना है ,सभी को सैनिटाइजर का प्रयोग भी करना है। कुल मिलाकर जो सरकारी गाइडलाइन जारी की गई है। उसका पालन सभी को पूरी तरह से पालन करना होगा। तभी कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म भी किया जा सकता है । बात भी ठीक है ।
लेकिन क्या कोरोनावायरस का संक्रमण राजनेताओं तक नहीं पहुंचता है । पश्चिम बंगाल में उमड़ने वाली रैलियों में भीड़ ने तो शायद यही सिद्ध कर दिया कि जहां चुनाव हो रहे हैं वहां करोना का संक्रमण दूर दूर तक नहीं होता है । और होता भी है मीडिया में नहीं दिखता है । कई बार विपक्षी दल या बुद्धिजीवी वर्ग के लोग कार्टूनों के माध्यम से इन चीजों को सोशल मीडिया पर उजागर भी करते हैं।
कुछ इसी तरह की तस्वीरें उत्तराखंड की सल्ट विधानसभा के उपचुनाव की भी सोशल मीडिया पर सत्ताधारी दल और विपक्षी दल के नेताओं द्वारा पोस्ट की जा रही है । जहां कई बार एक सोफे पर भी बैठने की जद्दोजहद साफ दिखती है । रुद्रपुर शहर के अंदर भी ऐसी तस्वीरों की कोई कमी नहीं है । फोटो में चेहरा साफ दिखना चाहिए और सबको फ्रेम में होना चाहिए । सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष के आगमन पर होने वाली तैयारियों को लेकर आपस में एक साथ मीटिंग कर रहे हैं । और ये जानकारी वो सोशल मीडिया के माध्यम से खुद लोगों तक पहुंचा रहे हैं लेकिन उस मीटिंग वाले कमरे में ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है और ना ही उनके चेहरों पर मास्क लगे हैं । तो क्या कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि राजनीतिज्ञों को कोरोना वायरस संक्रमित नहीं करता है । और जो शासन की गाइडलाइंस बनाई जाती हैं वो सिर्फ आम लोगों के पालन के लिए होती हैं । जबकि कोरोना को लेकर शासन प्रशासन लगातार लोगों को जागरूक कर रहा है ।
यह महज व्यंग्य नहीं है बल्कि सभी को अपनी जिम्मेदारी अहसास कराने का एक जरिया है । इसलिए चाहे वो राजनीतिक शख्सियत हो या आम आदमी …कोविड-19 की गाइडलाइन सभी के लिए समान रूप से बनाई गई है । इसलिए कोविड काल में सोशल मीडिया पर तस्वीरें भी जागरूक करने वाली अपलोड करें । जिससे आपके फॉलोवर्स आपसे बहुत कुछ सीख सकें ।