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उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के बाद आम आदमी पार्टी अपने इस अगले कदम से कांग्रेस और बीजेपी को करेगी पीछे

Summary

देहरादून: मिशन 2022 को लेकर आम आदमी पार्टी कर्नल अजय कोठियाल के तौर पर अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुकी है। अब AAP की रणनीति 70 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस से पहले उम्मीदवारों का ऐलान कर टिकट […]

देहरादून:

मिशन 2022 को लेकर आम आदमी पार्टी कर्नल अजय कोठियाल के तौर पर अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुकी है। अब AAP की रणनीति 70 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस से पहले उम्मीदवारों का ऐलान कर टिकट बँटवारे में बढ़त बनाने की तैयारी है। AAP के जानकार सूत्रों ने दावा किया है कि अक्तूबर में आम आदमी पार्टी बड़े स्तर पर प्रत्याशियों को लेकर तस्वीर साफ कर देगी।

पार्टी ने टिकट चाहने वाले लोगों के लिए सितंबर तक ज्वाइनिंग की डेडलाइन तय कर दी है। इसके बाद पार्टी टिकट फाइनल करना शुरू करेगी और अक्तूबर में कम से कम 30 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर देगी। AAP के मुख्यमंत्री पद के चेहरे कर्नल अजय कोठियाल गंगोत्री से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं और कर्नल अपने प्रभाव वाली डेढ़-दो दर्जन सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर होमवर्क कर चुके हैं। ‘आप’ 10 सीटों पर प्रभारियों की घोषणा संकेत दे चुकी है कि इन सीटों पर विधानसभा प्रत्याशी को ही उम्मीदवार बनाने की तैयारी है।

AAP सूत्रों के अनुसार लगभग 10 सीटों पर 2017 के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले अन्य दलों या निर्दलीयों से भी बैकडोर बातचीत चल रही है। पार्टी ने इन नेताओं को सितंबर तक पार्टी ज्वाइन करने की डेडलाइन थमा दी है, ताकि अक्तूबर तक विधिवत प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएं।
AAP के सीएम चेहरे कर्नल अजय कोठियाल ने भी कहा है कि पार्टी औरों से काफी पहले प्रत्याशी उतार देगी ताकि उम्मीदवार जनता से संवाद का क्रम और तेज कर सके। साथ ही एक बार किसी सीट पर टिकट बंटने के बाद दूसरे दल से आने वाले किसी बड़े नाम के लिए प्रत्याशी नहीं बदला जाएगा।

दरअसल ‘आप’ की चुनावी रणनीति है कि जहां जहां मजबूती दिख रही वहाँ समय रहते प्रत्याशी मैदान में उतार दिए जाएँ ताकि प्रत्याशी जनता से कनेक्ट और बढ़ा सके तथा जनता को भी अपने क्षेत्र में विधायक की दौड़े के दावेदारों का पता चल सके। पार्टी की रणनीति यह भी है कि ऐसा कर वह भी जान सकती है कि किस सीट पर उसका कौनसा उम्मीदवार किस तरह की चुनावी जंग लड़ रहा। इसीलिए अक्तूबर में ही आधे उम्मीदवार उतारकर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने का दांव खेला जाएगा। जबकि कुछ सीटों पर इस रणनीति के तहत सबसे आखिर में उम्मीदवार उतारे जाएंगे जहां कांग्रेस और बीजेपी में आपसी सिर-फुटौव्वल ज्यादा है और टिकट बँटते ही बगावत देखने को मिल सकती है, वहां दोनों दलों के बाग़ियों को मौका दिया जा सकता है।

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